Being Ignorant is Not so Much a Shame, as Being Unwilling To Learn.
बागेश्वर उत्तराखंड राज्य का एक पहाड़ी जिला है जिसको 15 सितम्बर 1997 को जिला बनाया गया था ! जनसंख्या की दृष्टि से यह उत्तराखण्ड का 3 सबसे छोटा जिला है ! वर्तमान बागेश्वर क्षेत्र को दानपुर के नाम से जाना जाता था! इसका क्षेत्रफल 2246 वर्गकिमी है 7 वी शताब्दी में यह कत्यूरी राजवंश का शासन था ! 13वी सदी में कत्यूरी राजवंश के विघटन के बाद 1565 ई0 में बोलो कल्याण चंद ने पाली,बारहमंडल ,गंगोली के साथ दानपुर को भी कुमाऊ में शामिल किया !
बागेश्वर का एक नाम व्याघेस्वर भी है इसके पूर्वी व पश्चिमी भाग में क्रमशः भीलेस्वर व नीलेस्वर पर्वत तथा उत्तरी व दक्षिणी में सूरज कुण्ड व अग्नि कुण्ड हैं ! मानसखंड में गोमती व सरयू नदी के मघ्य नीलगिरी(बागेश्वर) का वर्णन है इसे उत्तर का वाराणसी भी कहते है !
वर्तमान में जिला बागेश्वर में 3 विकासखंड हैं बागेश्वर , गरुड , कपकोट
वर्तमान में जिला बागेश्वर में तहसील- 6 ,उपतहसील-1 बागेश्वर , गरुड़, कांडा, कपकोट, काफलिगेर ,दुर्गनाग्री, सामा(sub)
जिला बागेश्वर के अंतर्गत 2 विधानसभा सीट है - कपकोट ,बागेश्वर (SC)
जिला बागेश्वर के अंतर्गत 1 नगरपालिका परिषद् है - बागेश्वर नगरपालिका परिषद्
जिला बागेश्वर के अंतर्गत 1 नगर पंचायत है - कपकोट
जिला बागेश्वर के अंतर्गत 11 क्षेत्र पंचायत है - 3 विकासखंड में क्षेत्र पंचायते है
जिला बागेश्वर के अंतर्गत 416 ग्राम पंचायत है जिसमे प्रत्येक विकासखंड में बागेश्वर (192), गरुड़ (106) , कपकोट (118) ग्राम पंचायते हैं !
पर्यटन स्थान का नाम | स्थिति | प्रसिद्ध |
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बागनाथ मंदिर | बागेश्वर | बागेश्वर शहर के निकट गोमती और सरयू के संगम पर स्थित शिव का मंदिर है ! |
बैजनाथ मंदिर समूह | बागेश्वर | यहाँ के मुख्य मंदिर में "आदमकद पार्वती की पत्थर की बनी मूर्ति" स्थापित है बैजनाथ के मंदिरों को कत्यूरी ,चंद ,गंगोली वंश के राजाओ ने जिनोधार कराया ! ये कत्यूरी राजाओ की राजधानी भी थी ! |
कत्यूर घाटी | कोसानी के पास | 1929 ई0 में महात्मा गाँधी यहाँ 12 दिन रहे और "यंग इन्डिया" के लेख में कोसानी को "भारत का स्विटजरलैंड " कहा ! |
अनाशक्ति आश्रम | कोसानी के पास | यहाँ पर गाँधी जी रहे थे ! यही पर उन्होंने "गीता का अनासक्ति योग " पुस्तक लिखी ! |
लक्ष्मी आश्रम | कोसानी के पास | यह गाँधी जी की शिष्या "सरला बहन (कैथरिन हैलीमन) " का आश्रम है ! |
कोट भामरी व नंदा मंदिर | डगोली के पास | यहाँ कत्युरों की अधिषठात्री कुल देवी "भ्रामरी " तथा चन्दवंश द्वारा स्थापित "नंदा देवी मंदिर " है ! |
पांडूस्थल | कुमाऊ व गडवाल सीमा पर | किवदंती के अनुसार यहाँ अज्ञातवास में पांडव रहे थे ! |
पिनाकेश्वर महादेव | कोसानी के पास | यहाँ निकट "बुरा पिननाथ" व भकोट प्रसिद्ध स्थल भी है |
उत्तरायनी मेला | बागेश्वर | यहाँ प्रसिद्ध उत्तरायनी मेला लगता है |
तालाब, बाध,नदी,ग्लेशियर | प्रसिद्ध |
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पिण्डारी ग्लेशियर | बागेश्वर में स्थित है ! यहाँ से पिंडर नदी निकलती है ! यह लगभग 30 किमी0 लम्बा व 400 मी0 चौडा ग्लेशियर है यह राज्य का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है |
सुंदरदूंगी ग्लेशियर | बागेश्वर में स्थित है |
सुखराम ग्लेशियर | बागेश्वर में स्थित है |
कफनी ग्लेशियर | बागेश्वर में स्थित है |
मैकतोली ग्लेशियर | बागेश्वर में स्थित है |
सुकुणडाताल | बागेश्वर में स्थित है |
देवीकुंड (सुकुणडाताल) | बागेश्वर में स्थित है |
दर्रे | स्थिति | प्रसिद्ध |
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ट्रेल पास | बागेश्वर-पिथोरागड़ | यह दर्रा बागेश्वर-पिथोरागड़ के मध्य स्थित है |
सुंदरढूगा | बागेश्वर-चमोली | यह दर्रा बागेश्वर-चमोली के मध्य स्थित है |
प्रमुख आन्दोलन /घटनाएँ | विवरण |
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कुली बेगार आन्दोलन | अंग्रेजो के शासनकाल में अंग्रेज अधिकारियो के सामान को एक गाँव से दुसरे गाँव तक छोड़ने की प्रथा थी तथा रास्ते में पड़ने वाले गांवो से बेगार ली जाती थी ! इसी के विरोध में 13 व 14 जनवरी 1921 को सरयू नदी के तट पर उत्तरायनी मेले में "बद्रीदत्त पाण्डेय , हरगोविंद पन्त ,चिरनजी लाल के नेतृत्व में 40 हजार आन्दोलन कारियों ने संकल्प लिया और रजिस्टर सरयू में बहा दिए और कुली बेगार प्रथा का अंत हुआ ! यह आन्दोलन सर्वप्रथम "खयाडी गाँव (अल्मोड़ा) से शुरू हुआ था ! |
Last Update on: 31 Agu 2020